मेरा नाम सफी हे और मैं पटना से हूँ. मैं आज आप को अपनी एक रियल स्टोरी बताने के लिए आया हु. ये कहानी मेरी और मेरी एक पड़ोसन चाची की हे. ये मेरी पहली कहानी हे और मुझे पूरा भरोसा हे की उसको पढ़ के आप का लंड जरुर खड़ा होगा! जब भी मैं चाची और उनकी बेटियों के बारे में सोचता हु तो मेरा खड़ा हो जाता हे. चाची का नाम रेखा हे. चाचा जी सरकारी जॉब करते हे और वो पटना से बहार पोस्टिंग पाए हुए हे. और वो हर महीने में एक बार ही घर पर आते हे. चाचा की उम्र 45 साल की हे. और चाची 42 साल की गोरी, लम्बी और सेक्सी दिखती हे.चाची के बूब्स 36 के, कमर 32 की और गांड करीब 38 की होगी. उसकी बड़ी बेटी कविता जो 26 साल के हे और छोटी बेटी सविता 22 साल की हे. चाची की बेटियाँ गणित में कमजोर थी और मैं उनसे छोटा होने के बावजूद भी उन्हें पढ़ाने के लिए उन्के घर पर जाता था. वो दोनों ही लड़कियां पढने में काफी कमजोर थी. मैं खूब महनत कर रहा था उन्के पीछे. उस वक्त हम लोगो के बिच में ऐसा वैसा कुछ भी नहीं हुआ था.
एक दिन रेखा आंटी की छोटी बेटी सविता ने मुझे आवाज दी. और अपने घर पर बुलाया गणित के कुछ डाउट पूछने के लिए. मैं फ्री था तो चला गया और क्या देखा की रेखा आंटी सिर्फ ब्लाउज पहन के चावल साफ़ कर रही थी. बहुत गर्मी थी उस वक्त और शायद उसी वजह से आंटी ऐसे नंगी सी घूम रही थी अपने घर के अन्दर. घर में उस वक्त सविता और देखा आंटी दो ही लोग थे. मैंने सविता की मेथ्स की प्रॉब्लम को सोल्व की. और तभी सविता को उसकी दोस्त का फोन आया और वो चली गई. मैं वही बैठा था और बार बार आंटी की चुचियों को देख रहा था. मेरे लंड में आग लग गई थी. मैंने उस वक्त हाल्फ पेंट पहनी हुई थी तो मेरा ताना हुआ लंड आंटी ने भी देखा.आंटी समझ गई और उसने अपनी चुचियों को पल्लू से छिपा लिया. और फिर वो मेरे साथ सविता और कविता की पढ़ाई के बारे में बातें करने लगी. मेरा ध्यान बार बार आंटी की चूत वाली जगह के ऊपर ही जा रहा था और आंटी को भी वो पता था.
आंटी ने मूड बदलने के लिए कहा. बहुत दिनों से कोई मूवी नहीं देखी हे. एक काम करो सीडी के बॉक्स में से कोई अच्छी सीडी निकालो देखते हे. सब से ऊपर जो बिना कवर की सीडी थी उसे मैंने लगा दी. और मैंने जैसे ही प्ले की तो मैं एकदम से घबरा गया. वो कोई हिंदी फिल्म की सीडी नहीं थी बल्कि ब्ल्यू फील्म की थी. उसके अन्दर एक जवान लड़का आंटी को कुतिया बना के उसे चोद रहा था वो सिन चालू हो गया था. मैंने डर के सीडी प्लेयर को बंद किया लेकिन रेखा आंटी ने वापस आ के उसे चालू कर दिया. वो बोली लगी रहने दो मुझे देखनी हे. मैं समझ गया की मेरे लंड का उभार देख के ये आंटी चुदासी हुई हे और अब वो मेरा लंड ले के ही मानेगी! मैंने अपने हाथ को उसके बदन के ऊपर फिराया तो उसकी सांस तेज हो गई. वो आह्ह्ह आह कर रही थी. और मैंने उसके एक हाथ को ले के अपना लंड उसे थमा दिया. वो लंड को दबा के उसकी चौड़ाई का जायजा ले रही थी. मैंने एक ऊँगली को उसकी नीपल और चूची के ऊपर फेरी तो वो एकदम से मस्ती में आ गई. वो सिस्कारियां भर रही थी और मैं एन्जॉय कर रहा था!
अब मेरी हिम्मत बढ़ी और मैं उन्के ऊपर आ गया. और मैंने उनकी किस लेना चालू कर दिया. उन्के गुलाबी सेक्सी होंठो ने मेरे लंड में अजीब सी अकड पैदा कर थी. अब मैं उनकी चूची को किसी चोकोलेट के तरह चूसने लगा था. और वो मेरा साथ पूरी तरह से दे रही थी. मैं अब धीरे धीरे उन्हें नंगा करना लगा और उनकी पेटीकोट और साडी उतार दी. रेखा आंटी ने पेंटी नहीं पहनी थी. जैसे ही मैंने उन्के कपडे उतारे तो मेरी नजर उन्के बड़े से बुर पर पड़ी. वो हलकी हलकी झांट, आह मुझे मदहोश कर रही थी. मैं उस वक्त अपने आप को रोक नहीं पाया और उसे चूसने में टूट पड़ा. वो अह्ह्ह अह्ह्ह चुसो अह्ह्ह की सिस्कारियां भरने लगी. फिर उन्होंने मुझसे कहा अब बर्दास्त नहीं होता हे अब डाल दो. तो मैं उन्के ऊपर आ गया और उन्के मुह में अपना लंड दे दिया. और मैंने कहा, चुसो इसे मेरी जान! वो मेरी पहली चुदाई थी इसलिए ना जाने क्यूँ मेरा लंड मुरझा सा गया था. और वो उसे चूसने लगी बिलकुल किसी लोलीपोप के जैसे. मैं आह्ह्ह अह्ह्ह करने लगा था और उन्के मुहं को चोदने लगा.
अब मुझे भी बर्दास्त नहीं हुआ तो मैं अब उन्के ऊपर आ गया. और उनकी चूत की पप्पी ले के अपना लंड उसके ऊपर रगड़ा. वो आह्ह की सिसकारी भरने लगी. वो पूरा छटपटा रही थी. फिर उन्होंने रिक्वेस्ट की फिर मैंने उनकी टाँगे चौड़ी की और अपना 7 इंच का लंड का सुपाडा उन्के बुर के ऊपर रखा. उनकी बुर पहले से ही ही गीली हो गई थी. और मैंने एक जोर का धक्का मारा. तो मेरा लंड आधा अन्दर चाल गया और वो चिल्ला पड़ी. वो एक महीने से चुदी नहीं थी. अह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह की आवाजें निकाल के वो लंड को भोग रही थी.फिर मैंने आंटी के लिप के ऊपर अपने लिप्स रखे और दूसरा झटका दे दिया. मेरा पूरा लंड आंटी ककी बुर में चला गया. और वो मेरे होंठो को पागलो के जैसे चूमने लगी और कह रही थी अहह मर गई. फिर मैं कुछ देर के लिए शांत पड़ा रहा और फिर धीरे धीरे झटके देने लगा. एक बार फिर वो झड़ गई मगर मैं दनादन पेलता रहा. वो अह्ह्ह अह्ह्ह उह्ह्ह्ह औऊह अह्ह्ह्ह कर रही थी. फिर मैंने आंटी को घोड़ी बना दिया. जब वो घोड़ी बनी तो उसकी चूत किसी गोलगप्पे के जैसी लग रही थी. मैंने उनकी चूत के ऊपर एक हलकी सी पप्पी दे दी और लंड को चूत के ऊपर रख दिया. मैंने फिर से अपने लंड को उसकी चूत में मारना चालू कर दिया.
मैं आंटी को चोदते हुए उनकी गर्दन के ऊपर और कमर के ऊपर किस कर रहा था. वो भी अपनी गांड को मेरे लंड के ऊपर मार के मजे से चुदवा रही थी. फिर मैंने उन्हें सीधा लिटाया और फिर से उसके बुर को चोदने लगा. फिर मुझे लगा की मैं झड़ने वाला हूँ तो उन्होंने कहा की अन्दर ही झड़ जाओ मैंने ओपरेशन करवा लिया हे इसलिए बच्चा वैसे भी नहीं होगा. तो मैं आंटी की बुर में ही पूरा झड़ गया. आंटी ने मुझे एक किस दी और बोली थेंक्स मेरी को आग को बुझाने के लिए! और उसने कहा की मेरी ऐसी अच्छी चुदाई आजतक किसी ने नहीं की हे! आंटी ने बोला एक महीने से वो अपनी ऊँगली से ही काम चला रही थी. मैं फिर उन्हें किस करता रहा और उन्हें आई लव यु कहा मैंने. और 5 मिनिट के बाद उनकी बुर में से अपना सोया हुआ लंड बहार निकाला. और जब मैं उनको चोद के निकला तो 4 बज चुके थे. फिर मैंने अपने घर आ के शाम को 8 बजे वापस उन्के घर गया. मेरे लंड महाराज ने फिर से सलामी देनी चालु कर दी थी. रेखा आंटी उस वक्त घर पर अकेली थी. चोदने की इच्छा हुई थी मेरी और चाची अभी भी ब्लाउज में ही थी. तो जाते ही मैंने उन्के कान के ऊपर किस कर दी और आई लव यु कहा. तो उन्होंने कहा आज इतनी जल्दी आ गए बच्चू!
तो मैंने भी आंटी को सीधे ही बता दिया की आप की बुर का बुलावा आ गया इसलिए मैं जल्दी आ गया! लेकिन आंटी ने पहले तो सेक्स के लिए मना ही कर दिया और वो बोली नहीं नहीं सविता कविता किसी भी वक्त आ सकती हे अभी तो. मैंने कहा अरे आंटी अभी तो आधे घंटा हे उन्के आने में तब तक मैं आप को चोद के फ्री कर दूंगा. वो मान गई और मैं आंटी को अपने हाथ में उठा के बेडरूम में ले गया. और वहां पर मैं उन्के बदन को चुसने और चूमने लगा. आंटी सिस्कारियां भरने लगी थी. मैंने आंटी की साडी उठाई और उसके बुर को चाटने लगा. फिर तो उनका हाल एकदम बुरा हो गया और उन्होंने कहा,. अब जल्दी से डाल दो टाइम भी ज्यादा नहीं हे. तो मैंने फिर से उनकी इस बार अपने ऊपर बिठा के चूत में लंड डाला. आंटी के बूब्स मेरे चहरे के सामने ही थे. मैं उन्हें चूस के निचे से आंटी की चूत में धक्के दे रहा था. और वो भी मेरे लंड के ऊपर उछल उछल के चुदवा रही थी. वाह क्या मज़ा आ रहा था दोस्तों मैं शब्दों में लिख नहीं सकता हूँ.पूरा कमरा पच पच की आवाज से गूंज रहा था और अब ऐसे ही चोदते चोदते 15 मिनिट हो गई. तो मैंने उन्हें पकड़ के लियादिया क्यूंकि मैं झड़ने वाला था. और हम दोनों एक साथ झड़ भी गए. फिर मैं उठा और उन्हें किस करते हुए उठा. आंटी ने भी फट से अपने कपडे पहने और बोली, तुम्हे अब बुर का भूत आ गया हे.
मैंने कहा वो क्या होता हे आंटी? वो बोली, बहुत खतरनाक भूत होता हे, तुम्हे अक्सर मेरे पास ले के आएगा! मैंने कहा फिर तो वो प्यारा भूत हुआ ना खतरनाक थोड़ी हुआ! आंटी हंस पड़ी और मैं हॉल में आ के बैठ गया कविता और सविता के आने से पहले पहले!