जन्मों की प्यास बुझ गई – Indian Sex Stories

Indian Sex Stories – मैं पहले से शहर में किराये का मकान में रहता था, शादी के 2 माह बाद मैं बीवी को लेकर उसी मकान में आ गया। जिस मकान में मैं ऊपर की मंजिल में रहता था, वहाँ एक और दंपत्ति किराये पर रहने कुछ समय पहले ही आये थे, पति रमेश, पत्नी नीतू और एक 5 वर्ष का बच्चा मोनू।
हम दोनों किरायेदारों के पास 2-2 कमरे थे, आगे की ओर छत थी जिस पर एक बाथरूम एक टोयलेट बना था जिसे हम दोनों किरायदार इस्तेमाल करते थे, छत की सफाई भी मिलकर एक एक दिन करते थे। छत पर हमारे कमरों का मुख्य दरवाजा खुलता था जो आगे के कमरा का था दरवाजे के साथ खिड़की भी थी जिससे रोशनी और हवा आती रहती थी। हमारे पड़ोसी किरायेदार रमेश स्कूल में टीचर थे, बच्चा मोनू नर्सरी में पढ़ता था, नीतू घर का काम देखती थी।
नीतू लगभग 24 वर्ष की बहुत ही सुन्दर महिला थी जिसका फिगर 34-28-36 होगा। जितने बड़े मोम्मे उनसे बड़े गाण्ड के बड़े बड़े खरबूजे, जो चलते समय ऐसे मटकते थे कि दिल की धड़कन थम जाये। रंग गोरा, नैन कजरारे लेकिन शक्ल से भोली होने के बाद भी नीतू थी बहुत ही चालाक, अपना काम निकालना उसे बहुत अच्छी तरह आता था।
अक्सर नीतू मुझसे रूपये उधार मांगने आ जाती, मेरे पास अगर हुए तो दे दिए नहीं तो मना कर दिया। परन्तु उसको इसमें कभी शर्म महसूस नहीं हुई। वो मेरी बीवी के पास भी आकर बैठी रहती थी, कभी कभी मुझसे भी बात कर लेती, कभी हल्की-फुल्की मजाक भी कर लेती, जबकि उसका पति बहुत ही सीधा और शरीफ है। नीतू लालची किस्म की औरत थी अक्सर मियां-बीवी में रूपये-पैसे को लेकर झगड़ा होता रहता था, रमेश नीतू की मांग कभी पूरी नहीं कर पाता था।
मेरी बीवी से भी खूबसूरत होने के कारण मेरा मन हमेशा नीतू के दीदार को तरसता रहता था, उसको चोदने के सपने खुली आँखों से देखता रहता था।
उसका मर्द सुबह साढ़े सात बजे बच्चे को स्कूल लेकर जाता और दोपहर 1:30 पर घर लौटता।
एक दिन सुबहे दस बजे मैं नहाने जा रहा था, मेरी बीवी बोली- मैं बजरिया से सब्जी लेकर आती हूँ !
मैंने कहा- ठीक है ! नहाकर बाथरूम से बाहर निकला तो बाहर ही नीतू खड़ी थी, मैं तौलिया लपेटे था, कुछ झिझक सी लगी पर सोचा कि मौका अच्छा है, मैं उसे देख कर हंस दिया तो वो हंस कर बोली- रोनी जी फेरी वाला बहुत ही अच्छी साड़ी लेकर आया है, आप भाभी जी के लिए खरीद लो।
तो मैंने मना कर दिया तो बोली- मुझे साड़ी पसंद है, प्लीज़ मुझे हज़ार रूपये उधार दे दो, तीन चार दिन में इनकी तनख्वाह मिलेगी तो लौटा दूंगी।
मैंने मौका देखकर कहा- अन्दर आओ, देता हूँ !
लेकिन वो दरवाजे के बाहर ही खड़ी रही, अन्दर नहीं आई।
मैंने सोचा था कि रूपये देते वक्त तौलिया खिसका दूँगा, मुझे नंगा देखकर कुछ बात बन जाएगी पर वो तो अन्दर ही नहीं आई। मैंने रूपये बाहर आकर दे दिए, उसने साड़ी खरीद ली।
तब तक मैं कपड़े पहन चुका था, मेरी बीवी को आने में 20-25 मिनट लग सकते थे तो मैं सीधा नीतू के कमरे चला गया, पूछा- ले ली साड़ी?
वो बोली- हाँ !
और साड़ी दिखाने लगी।
मैंने कहा- भाभी जी, पहन कर दिखाओ तो कोई बात है !
तो कहने लगी- तुम्हें क्यूँ दिखाऊँ? अपने पति को दिखाऊँगी !
मैं अपना सा मुँह लेकर आ गया, उसने मेरी और कोई तवज्जो नहीं दिया। मैंने ठान लिया कि चाहे कोई भी रास्ता अपनाना पड़े, इसकी चूत मारकर ही रहूँगा। उस दिन से ही योजना बनाने लगा कि कैसे इसे नंगा करूँ और इसके यौवन का रसपान करूँ।
रक्षाबंधन पर मेरी बीवी मायके चली गई 6-7 दिन के लिए। दो दिन तो योजना बनाने में निकल गए। हाँ, इन दो दिनों मैंने खिड़की की झिरी से उसे झाड़ू लगाते हुए देखा, उसे लगता था कि मैं सोया हुआ होऊँगा तो वह छत पर झाड़ू लगाते वक्त पूरी निश्चिंत रहती थी कि उसे कोई देख नहीं रहा होगा इसलिए बड़े ही लापरवाह तरीके से पल्लू को कमर में लपेट कर साड़ी को ऊपर चढ़ाकर कमर में खोंस कर छत की सफाई करती थी। बड़े गले के ब्लाऊज़ से उसके दिखते हुए बड़े बड़े दूध संतरे से बड़े आकार के थे, घुटनों तक चढ़ी हुई साड़ी से उसकी मखमली जांघें देखकर मेरा मन ललचा जाता।
जब वो चली जाती तो मैं बाथरूम में घुस जाता और मुठ मारकर ही बाथरूम से बाहर आता था। आखिर मैंने एक तरकीब सोच ही ली, अब जो होगा देखा जायेगा।
मैंने एटीएम से 2500 रूपये निकाले। 500 के 5 नोट थे वो भी सीरियल नंबर के। रात को घर में आकर योजना बनाने लगा। सुबह साढ़े सात पर रमेश बच्चे को लेकर स्कूल चले गए। उनके जाते ही मैंने अपने मोबाइल के वीडियो कैमरा को ऑन करके खिड़की पर इस तरह लगा दिया कि छत का दृश्य कैमरे में आ जाये। मुझे मालूम था कि नीतू अब छत साफ़ करने आएगी। मैंने उन 500 के 5 नोटों में से दो ऊपर के नंबर छोड़कर तीसरा नोट निकला यानि बीच का नोट और उसको तह करके कैमरा की पकड़ वाली जगह गिरा दिया और बाथरूम में घुस गया, झिरी में से देखने लगा। जब नीतू झाड़ू लगाने आई तो उसके चूचों को देखते हुए अपना समय बिताने लगा।
जब वह झाड़ते हुए हमारे खिड़की के पास आई और उसने नोट देखा तो फ़ौरन उठाकर अपने ब्लाऊज़ में अपने स्तनों के बीच में रख लिया और अपने काम में लग गई।जैसे ही वह सफाई करके अपने कमरे में गई, मैं बाथरूम से निकलकर अपने कमरे में आया, मोबाईल का कैमरा बंद किया और उसके कमरे में चला गया। मैंने कहा- भाभी जी, मेरा 500 का नोट गिर गया है, क्या आपको मिला?
तो नीतू बोली- नहीं ! यही तो मैं चाहता था, मैंने कहा- शायद छत पर ही गिरा था, घर में तो कहीं नहीं मिला। तो वो कुछ गुस्से से बोली- जहाँ गिरा है, वहाँ ढूंढो, मुझसे क्यों पूछ रहे हो?
मैंने कहा- तुमने ही अभी सफाई की है, इसलिए पूछ रहा हूँ !
तो वह अपना पल्लू ठीक करने लगी और अपने ब्लाऊज़ को ढकने लगी।
मैंने फ़ौरन कहा- भाभी जी, आपके ब्लाऊज़ में मेरे को 500 का नोट दिख रहा है, प्लीज़ मेरा नोट लौटा दो !
तो बोली- नहीं मेरे ब्लाऊज़ में कुछ नहीं है !
मैंने कहा- लेकिन मेरे को दिख रहा है।
तो बोली- यह तो मेरा है, रमेश ने दिया था।
मैंने कहा- मेरे पास इस बात का सबूत है कि तुमने वह नोट उठाया है।
तो बोली- क्या सबूत है?
मैंने कहा- आओ दिखाता हूँ !
मैंने मोबाइल मे वो वीडियो चला कर उसे दिखाया जिसमें उसने नोट को उठाकर ब्लाऊज़ में रखा था।
उसे देखकर भी उस पर कोई फर्क नहीं पड़ा, बोली- मेरा यह नोट शायद छत पर गिर गया होगा सो मिल गया है, मैंने रख लिया।
बहुत ही घाघ औरत थी वह इसीलिए मैंने भी दूसरा सबूत भी बना रखा था, मैंने आखिरी दाव खेला- नीतू, यदि तुम ऐसे नहीं मानोगी तो मैं तुम्हारे पति से शिकायत करूँगा और मकान मालिक से कहूँगा कि तुम चोरी करती हो ! इस बात का दूसरा सबूत भी मेरे पास है।
बोली- क्या सबूत है?
मैंने कहा- वो तो अब सबके सामने ही बताऊँगा !
तो बोली- बताओ क्या सबूत है?
मैंने कहा- इस नोट को निकालो !
उसने नोट निकाला।
मैंने कहा- इसका नंबर पढ़ो ! इसके पहले और बाद के नंबर के नोट मेरे पास हैं।
मैंने उसे बाकी के चार नोट दिखा दिए तो उसका चेहरा फक से रह गया, बोली- मुझे माफ़ कर दो !मैंने कहा- तुम झूठ क्यूँ बोल रही थी?
बोली- मुझे रूपये की जरुरत थी।
मैंने कहा- मुझसे बोलना था, 500 क्या 10000 दे देता !
तुरंत बेशर्मों की तरह बोली- सच?
मैंने भी कह दिया- हाँ !
और एक और नोट उसके हाथ में थमा दिया।
फिर मैंने हिम्मत करके कहा- इसके बदले में मुझे क्या मिलेगा?
बोली- तुम्हें क्या चाहिए?
मैंने भी आंख मारते हुए कह दिया- तुम !
बोली- क्या मतलब?
मैंने कहा- कभी-कभी जरुरत पर मैं तुम्हारा काम चला दिया करूँगा, तुम मेरा चला दिया करो ! मैं तुम्हें रूपये की जरुरत पूरी कर दिया करूँगा, तुम मेरी बीवी की कमी को पूरा कर दिया करो !
नीतू का चेहरा मुरझा गया, बोली- मैं ऐसी औरत नहीं हूँ, किसी को पता चल गया तो दो परिवार ख़राब हो जायेंगे।
वो रूपये लौटाने लगी।
मैंने कहा- अभी रख लो, सोच कर जबाब देना, यदि मंजूर न हो तो रूपये लौटा देना और इस बात को
यहीं ख़त्म कर देना, न मैं किसी से कुछ कहूँगा न तुम किसी से कुछ कहना।
और मैं अपने कमरे में आ गया।
मैं समझ गया कि तीर निशाने पर लग चुका है, अब जो करना है वही करेगी।
कमरे में आकर देखा साढ़े आट बज गए हैं, उस दिन मुझे ठेकेदारी की साईट पर भी कोई काम नहीं था क्यूंकि मिस्त्री और मज़दूर सभी छुट्टी पर थे। मैं अन्दर वाले कमरे मैं टीवी ऑन करके समाचार देखने लगा।
तभी बगल के कमरे का दरवाजा खुलने की आवाज़ आई, शायद नीतू बाहर निकली होगी। सोचकर समाचार पर अपना ध्यान लगाये रहा।
मुझे अपने कमरे में किसी के आने का अहसास हुआ। दीवार परछाई देखकर पर मैं टी वी की तरफ ही देखता रहा। दो मिनट बाद फिर किसी के बाहर जाने का अहसास हो गया।
मैंने अंदाज लगाया कि नीतू ही होगी, कुछ कहने आई होगी, फिर हिम्मत नहीं हुई तो वापस चली गई होगी यह सोचकर कि रोनी ने देखा नहीं।
लेकिन मैं जानता था कि अगर वो कुछ कहने आई थी तो दोबारा जरूर आएगी और कहेगी भी जरूर जो कहना चाहती है।
यह सोचकर कि बस अब दिल्ली ज्यादा दूर नहीं है, मेरे लण्ड खड़ा हो गया था आँखों में सुरूर सा महसूस हो रहा था, सारा बदन तपने लगा था पर मजबूर था क्यूंकि अब सारा दारोमदार नीतू के हाथों में था, उसकी ओर से इशारा मिलने दी देर थी।
दस मिनट बाद जब मेरी बैचेनी बढ़ने लगी तो उठा अपने कमरे से बाहर आया। नीतू बाहर छत पर कुर्सी डालकर बैठी कुछ सोच रही थी, मुझे देखकर कुछ झेंप गई।
मैं तौलिया लेकर बाथरूम में घुस गया दरवाजे की झिरी से नीतू को देखने लगा शायद वो कुछ ज्यादा ही सुन्दर लग रही थी, चेहरे पर पाउडर, होंठों पर हल्की लिपस्टिक लगाई थी, सलीके से साड़ी पहनी थी।
मेरे लण्ड में तनाव बढ़ गया था तो मैंने जांघिया निकाल दिया और नीतू की जांघ, चूचियाँ, चूत और गाण्ड की कल्पना कर लण्ड को सहलाने लगा। पांच मिनट में ही मैं चरम पर पहुँच गया। फिर तेजी से मुठ करते हुए सारा माल निकाल दिया और नहाकर अपने कमरे में चला गया। क्यूंकि मन और तनाव शांत हो चुका था तो सोचने लगा मैं भी क्या गलत करने की सोच रहा था, अच्छा हुआ जो कुछ किया नहीं, और मैं अपने आप को सामान्य करने में लग गया यह सोचकर कि चलो कहीं घूम कर आते हैं।
उस समय साढ़े नौ बजे थे, मैंने कपड़े पहने, तैयार होकर ताला उठाया और बाहर आ गया।
तो नीतू कहने लगी- भाई साब, कहीं जा रहे हो?
मैंने कहा- हाँ, कोई काम है?
बोली- हाँ…..
मैंने कहा- बोलो !
तो कहने लगी- थोड़ी देर पहले आपके पास आई थी तो आप टीवी देखने में व्यस्त थे।
मैं वापस अपने कमरे में आ गया, पीछे से नीतू आ गई, उसकी आँखें एकदम लाल हो रही थी, होंठ जैसे बोलना चाह रहे थे पर शब्द नहीं नहीं निकल रहे थे, हाथों का कम्पन साफ दिखाई दे रहा था।
उसने मुश्किल से इतना ही कहा- आप हमसे क्या चाहते हो?
मैं चूँकि नियंत्रित था, होश में था, मैंने कहा- कुछ नहीं, बस ऐसे ही मजाक कर रहा था।
मैंने अपनी नजरें नीचे कर ली लेकिन तब तक तक देर हो चुकी थी, नीतू को बहुत समय मिल चुका था, चुदने को तैयार तो वह पहले ही हो चुकी थी, बस नखरे दिखा रही थी।
उस पर मैंने ज्यादा तवज्जो नहीं दी लेकिन इतने समय में उसने अपनी कल्पना में कितने रंग भरे और उड़ानें भरी होंगी, यह तो वही जानती होगी, एकदम कामुक और चुदास हो रही थी वो, सांस लेने में उसके उभार और उभर उभर कर दिखाई दे रहे थे।
समझ नहीं आ रहा था कि यह रूपये का असर है या मेरी बातों का और या उसकी जरुरत का !
मैंने कह दिया- कुछ काम से जा रहा हूँ।
उसने मेरी बातों पर ध्यान नहीं दिया और पल्लू को नीचे गिरा दिया। अब मेरे आँखों के सामने एक फुट की दूरी पर वो संतरे थे जिन्हें दबाकर, निचोड़कर जिनका रस पीने के सपने कई दिनों से देख रहा था। पल्लू गिरते ही समझ आया कि साड़ी भी उसने नाभिदर्शना पहनी है। पतली कमर पर गहरी नाभि देखकर मेरे लण्ड ने सलामी देना शुरु कर दिया, हर पल ऐसे उठ रहा था जैसे ट्रक को जैक लगते समय ट्रक उठता जाता है।
अब मेरा मन बदलने लगा इच्छा होने लगी कि इस ट्रक को सामने वाली की गैराज में रखना ही ठीक होगा, किराया तो दे ही चुका हूँ।
मैंने पहले ही बताया था कि मैं सेक्स का शौकीन हूँ ! प्यासा तो था ही, जब कुंआ खुद मेरे पास आ गया है तो पीने में क्या हर्ज है।
मेरे शरीर में भी वासना भड़कने लगी, मैंने अपने दोनों हाथ उसके कंधे पर रख दिए और अपनी ओर खींचा तो वह अमरबेल की तरह मुझसे लिपट गई, उसके दोनों हाथ मेरी पीठ पर लिपट गए और मुझे भींचकर अपने स्तनों को मेरे सीने से दबाने लगी। उसका सर मेरे कंधे पर था, होंठ और नाक मेरी गर्दन पर गरम साँस छोड़ रहे थे जो मुझे रोमांचित कर रहे थे। फिर दोनों हाथों से मैं उसका सर थाम कर गालों पर माथे पर फिर होंठों पर चुंबन करने लगा अपने होठो में उसके होंठ दबाकर मसलने लगा। अब उसके सिसकारने की आवाज कमरे की शांति भंग कर रही थी, उसका शरीर ऐसे ढीला पड़ गया था कि यदि मैं उसे छोड़ देता तो वह रस्सी की तरह नीचे गिर जाती।
मैंने एक हाथ से उसकी साड़ी खोल दी और गोद में उठा लिया। उसने दोनों बाहें मेरे गले में डाल दी, उसे ले जाकर अन्दर के कमरे में पलंग पर लिटा दिया मैंने, फिर बाहर आकर उसके कमरे पर बाहर से ताला डाला और अपने कमरे को अन्दर से बंद कर लिया, वो इसलिए की यदि कोई उसके यहाँ आये तो यही समझे कि शायद नीतू कही गई होगी, हमारे यहाँ किसी के आने का कोई सवाल ही नहीं था, अब मैं निश्चिंत होकर कमरे में गया और पलंग पर पड़ी नीतू जो पलंग में सर को छुपाकर उलटी सो रही थी, यानि पीठ और गाण्ड ऊपर थी।
मैं अपने कपड़े उतारकर सिर्फ जांघिए में पलंग पर आकर उसके पास आकर लेट गया और उसकी पीठ को चूमने लगा, एक हाथ से उसके साये को ऊपर खींचकर उसके उन्नत और मांसल नितम्ब सहलाने लगा जो उसनी पेंटी में समा नहीं रहे थे।
अगर मैं गाण्ड मारने का शौकीन होता तो, तो सबसे पहले गाण्ड ही मारता लेकिन मैंने दोनों नितंबों को सहलाने और मसलने के साथ उनको पप्पी करने लगा।
अब फिर उसकी आह निकलने लगी।
फिर नीतू को चित्त लेटाकर उसका ब्लाऊज़ निकाल दिया, काली ब्रा में उसके मस्त बड़े बड़े स्तन हीरोइन नीतूसिंह के चूचों को भी मात दे रहे थे।
मैं उनको सहलाने लगा, उसने अपना हाथ आँखों पर रख लिया, शायद पहली बार उस बेशर्म को शरमाते देखा था।
फिर उसके होंठों को चूमते हुए कान और गले के आसपास गर्म होंठों से जो चुम्मे लिए तो वो मछली की तरह तड़पने लगी।
फिर मैंने उसकी ब्रा को अलग करके एक हाथ से एक संतरे को दबाकर निचोड़ना शुरु किया, दूसरे हाथ से साये के ऊपर से ही चूत का नाप लेने लगा।
काफी फूली हुई थी उसकी चूत, एकदम डबलरोटी की तरह !
दूसरे संतरे को मुंह में लेकर चूसने लगा तो वो मेरे गर्दन और पीठ पर जोरों से हाथ रगड़ने लगी।
फिर मैंने साये का नाड़ा खोलकर जैसे ही शरीर से उसे अलग किया तो उसकी चिकनी, बेदाग, दूधिया गठी हुई जांघों को देखकर तो मैं अपने होश ही खो बैठा, लगा कि इसकी चूत मारने से पहले ही लण्ड वीर्य की पिचकारी मार देगा। गनीमत थी कि कुछ देर पहले ही मुठ मार ली थी तो अब इतने जल्दी होने का डर नहीं था।
मैंने संतरों को छोड़ जांघों पर चुम्बन करना शुरु किया तो पैर के अंगूठे तक पूरा ही चूम डाला। फिर पेंटी के बगल से ही चूत पर उंगली फिराने लगा। किशमिश जैसे दाने को उंगली से रगड़ने लगा तो नीतू ने हाथ बढ़ाकर मेरी चड्डी अलग करके मेरा सात इंच का लण्ड हाथ में पकड़ लिया और उसे जोर से भींचने लगी।
मैंने कहा- नीतू जानू, जरा धीरे से पकड़ो, नहीं तो यह घायल हो जायेगा।
फिर वह धीरे धीरे सहलाते हाथ को ऊपर-नीचे करने लगी, बोली- यह तो मोटा है, मुझे दर्द होगा !
मैंने कहा- तुम चिंता मत करो ! तुम्हें दर्द का अहसास भी न होगा !
अब मैंने उसकी पेंटी को निकाल दिया और 69 की अवस्था में आकर उसकी चूत को देखने लगा। चूत एकदम गोरी थी उस पर चावल के दाने जितने लम्बे बाल थे, शायद 6-7 दिन पहले ही बनाये होंगे, ज्यादे घने नहीं थे सो गोरी खाल पर बड़े ही सुन्दर दिख रहे थे। चूत पर दाना बाहर को निकलता हुआ दिख रहा था, नीचे की फांकें ऐसे लग रही थी जैसे रस में सराबोर मुरब्बा हो !
मैंने उंगली से किशमिश जैसे दाने को छेड़ना चालू किया तो नीतू ने मेरे लिंग को जीभ से चाटना शुरु कर दिया। मैंने धीरे से दूसरे हाथ की उंगली को फांकों पर फिराते हुए उंगली को चूत के गुलाबी छेद में डाल दिया। नीतू की सीत्कार निकल गई।
अब एक हाथ से मणिमर्दन करते हुए दूसरे हाथ की उंगली छेद में अन्दर-बाहर करने लगा, उधर नीतू ने कब मेरे लण्ड को अपने मुँह में लेकर लॉलीपोप की तरह चूसना चालू कर दिया मुझे पता ही नहीं चला।
अब मेरे लण्ड ने ठुमके मारना चालू कर दिया था, नीतू बहुत गर्म और उत्तेजित हो गई थी, कहने लगी- रोनी, अब मुझसे रहा नहीं जाता, प्लीज़ डाल दो अन्दर और फाड़ दो मेरी बुर को !तो मैं घूम कर अपने चेहरे को नीतू के चेहरे के करीब ले आया और उसके रसभरे होंठों पर अपने होंठ सटा दिए, जीभ उसके मुँह में डाल दी, एक हाथ से लण्ड को पकड़कर सुपारा नीतू की चूत की गीली रसयुक्त फांकों पर फिराकर चिकना किया, फिर दाने पर रगड़ने लगा।
अब नीतू नीचे से गाण्ड उठाकर लण्ड को अपनी चूत में डालने की कोशिश करने लगी।
फिर मैंने लण्ड को चूत के छेद पर टिका करके धीरे से झटका लगाया तो नीतू की हल्की चीख निकल गई, बोली- जरा धीरे से डालो ! दर्द होता है !
मैं दूध दबाते हुए चूसने लगा, दो मिनट बाद मैंने एक जोर का झटका लगाया तो लण्ड जड़ तक चला गया।
अबकी बार नीतू दर्द को बर्दाश्त करके बोली- इतना मोटा रमेश का नहीं है, इसलिए जरा सा दर्द हो रहा है।
मैंने कहा- जानेमन, तुम्हारी चूत इतनी भी नाजुक नहीं है, यह तो इससे दोगुना मोटा लण्ड भी निगल सकती है।
अब उसका दर्द ख़त्म हो गया और गाण्ड को उचकाने लगी। मैंने भी अन्दर-बाहर करना शुरू कर दिया, साथ ही चुचूक को, जो पहले ज्यादा तनकर कड़क हो गए थे, मुँह में लेकर चूस रहा था।
उसकी सीत्कार तेज, और तेज होती जा रही थी। 2-3 मिनट में ही वो अपनी टांगें मेरी कमर से लपेटकर बदन को अकड़ाने लगी, बोली- रोनी, बहुत ही अच्छा लग रहा है ! मैं जाने वाली हूँ !
और बल खाती हुई मुझसे लिपट गई।
मैं रुक कर उसके ऊपर पसर गया, दो मिनट बाद मैंने उसको घोड़ी बनाया और गाण्ड को इस तरह से चौड़ा किया कि चूत उभर कर दिखने लगी जिसमें से रस बहकर जांघों तक आ रहा था। अपने लण्ड को उसमे चुपड़कर चूत के छेद पर रखा, फिर दोनों हाथ से मोटी चिकनी गाण्ड को पकड़कर जोर का धक्का लगा दिया। नीतू की हल्की सिसकारी के साथ पूरा का पूरा लण्ड अन्दर चला गया। मैं उसकी गाण्ड पर अपनी जांघों की ठोकर लगते हुए चोदन करने लगा, फिर एक हाथ से उसके स्तन को मसलने लगा, दूसरे हाथ से उसकी चूत के दाने को सहलाने लगा।
लण्ड का अपना काम जारी था, 4-5 मिनट में वह दूसरी बार झड़ गई और वैसी की वैसी पलंग पर गिर गई। मैं भी वैसे ही उसके ऊपर पसरा रहा। लण्ड अभी भी उसकी भोसड़ी में तन्नाया हुआ घुसा था।
मैंने उसको लेकर पलटी लगाई, अब मैं नीचे और नीतू ऊपर !
मैंने कहा- आगे अब तुम करो !
तो वह मेरे दोनों और पैर डालकर घुटने मोड़कर बैठ गई और अपने चूतड़ों को उठा-उठा कर चुदाई करने लगी।
अबकी बारी मेरी थी, मैंने कहा- नीतू, मैं जाने वाला हूँ। जन्मों की प्यास बुझ गई raj sharma new short sex
तो बोली- रुको !
फिर वह चित्त लेट गई और अपने पैरों को ऊपर उठा लिया, बोली- तुम ऊपर आ जाओ और अन्दर ही डालकर झरना !
मैंने उसकी टांगों को अपने कंधे पर रखकर जो तीव्रगति से चुदाई की तो दोनों एक साथ स्खलित हो गए और एक-दूसरे से ऐसे लिपट गए जैसे दो बदन और एक जान हो। पूरी चुदाई का कार्यक्रम 20 मिनट चला होगा, लग रहा था जन्मों की प्यास बुझ गई !
थोड़ी देर बाद दोनों अलग हुए, अपने आप को साफ करने के बाद पलंग पर लेट गए, बातें करते हुए एक-दूसरे के अंगों का स्पर्शानन्द ले रहे थे, नीतू मेरा लण्ड सहला रही थी।
दस मिनट बाद मेरा लण्ड फिर खड़ा हो गया, दोनों ने एक बार फिर से चुदाई का कार्यक्रम चालू कर दिया। अबकी बार चुदाई 30 मिनट तक लगातार चली।
नीतू बोली- तुम्हारे साथ मुझे बहुत आनन्द आया और संतुष्टि मिली ! रोनी, तुम्हारा चुदाई करने का तरीका बहुत अच्छा लगा। दोपहर का समय हो रहा है, मैं अपने कमरे जा रही हूँ, रमेश के आने का समय होने वाला है।
यह कह कर वह कपड़े पहन कर चली गई।
मैं भी फिर से नहा कर रमेश के आने से पहले घूमने निकल गया।
उसके बाद मेरी बीवी के लौटने तक हम दोनों रोज छककर चुदाई करते रहे। रमेश के जाते ही नीतू मेरे पास आ जाती मेरे लण्ड से खेलते हुए अपनी चुदाई जी भर के करवाती लेकिन अपनी फरमाइश जरूर बताती और उस हिसाब से मुझसे रूपये ले जाती।मेरी बीवी के आने के बाद जब कभी भी मौका मिलता हम लोग ऐसा मौका कभी नहीं छोड़ते थे।



Sex 18 वर्षाचा मुलगा Bhabhiশশুরের মোটা ধোন বাংলা চটিচটি আপু lift devun javlo sex katha marathidoon bayakanchi fubk story maratitபிரியட் டைம் ஓழ் கதைகள்সুখী খালার সাথে চোদাচুদিTelugu polam lo aunty sex story comরাজার মাগি চোদা চটিDidir barjin pod codr golpoবাংলাচটি বিধবা মা কাকিGumpu degudu stores teluguমামী ও বৌদিকে চোদার গল্পMarathi sex kthaধারাবাহিক পারিবারিক চুদাচুদির গল্প ও ছবিচটি পড়ি মাং চুদিdui bonke biye korar choti golpoஅண்ணிக்கு மன்மத விளையாட்டுনিজের ছেলের সামনে পরপুরুষের চোদা খাওয়াপ্রেমিকার হট গল্পবাবার চোদার চাহিদা পর্ব ৩বাংলা চটি অজাচারপারিবারিক চুদা চটিsage bhai ne chodya hindi sexy khanimag suna buda ma babaसासरा चे XxxShrimat gharachi sex marathi kahaniআমার হবে রে চোটিdui bonke biye korar choti golpoAxn চটি বাংলাসুযোগে ব্ল্যাকমেইল করে চোদা বাংলা চটিকাকি ও মা চটি ৩jharer dine didike choder bangla choti galpoSex story marathi aaiনতুন বড় গরম করা চটিgand me khade khade lund dala gay chudai kahaniyaমামির মুত খাওয়া চটিনিজের মেয়েকে বিয়ে চটিmamir shate sex bangla cotisex story's in marathi বস্তির পরোকিয়া চটি গল্পবোন এর পাচায় ঠাপதமிழ் அக்கா தம்பி காமகதைகள்পুটকি চোদার চটিचावट प्रणयনোংড়া মাগির ছোয়া বাংলা চটিलगीन झाल्यावर झवाझवी कथावहिनी ला प्रेग्नंट केली सेक्सstoresMirtachya aunty la zavlochike kama kannadaচটি আজ চুদে তোর গরম ঠান্ডা করবma chele biyeআজাচার খিস্তিতে চোদার চটিनेहा का परिवार कामुख कथा हिँदी चुत की स्टोरीSEX গল্প দিদির দুদু খায়thandri kuthuri telugu sex storisদুই শালি চোদার চটিবড় বোন বলে দুধ খায়ব উদি ও তার বোনকে এক সাথে চোদার চটিচোদাচুদির কাহিনিआई बरोबर झवाझवी स्वर्ग सुख सेक्स कथाझाडी मध्ये माझी ठुकाई/sex-stories/marathi-sex-stories-%E0%A4%86%E0%A4%88%E0%A4%9A%E0%A5%87-%E0%A4%AE%E0%A4%9C%E0%A4%AC%E0%A5%82%E0%A4%A4-%E0%A4%AC%E0%A5%8B%E0%A4%B2/ছোট বোন আর বড় বোনের সাথে মেয়ে মেয়ে চুদাচুদি সেক্র গল্প ২০২২হট দাদি কে কষ্ট দিয়ে চুদলামনায়িকাদের পোঁদ sexpark lo Dengudu kathaluTelugu dengudu chadivediমায়ের পোদ দিয়ে গরম ডিম দিয়ে চুদার চটিமனைவி புன்டையில் தேன் ஊற்றி நக்கும் கதை Bharthavilatha Rathri Kambi malayalam ভাতিজা চুদলো আমাকে গল্পCote Sex Golpogharmalakinla zavaloSEX.এর গলপবোনের সাথে লাগা লাগির গল্প।xxxTamil patti sex kathikalমেসেজ দাও তোমার বাড়া কতবড় চটি গলপBangla sex coti golpo newWwwবাংলা চটি গুদ চুচাচুচি মা ছেলেசுன்னியை சப்பிtamil muthal anupava gang kamakathaikalభర్తల మార్పిడి sex storiesপোদে মধু লাগিয়ে চুদা চটিচদাচদি চটি মাপাশের বাসার বোন আপু চটিmitrachi savatra aai